Sunday 16 October 2016

राजपुताना क्या हैं?

:- पापा जी राजपुताना क्या हैं?
बाप:- बेटा राजपुताना अर्थात राजपुतों का घर। राजपूतों के स्वाभिमान का प्रतीक।
बेटा:-राजपुत मतलब क्या?
बाप:- राजपुत मतलब, आन- बान- शान के साथ आजादी से सर उठा कर जीने वाला, जुबान का पक्का और कर्म का सच्चा।
बेटा:- पापा जी क्या सच में राजपुत जुबान के पक्के होते हैं?
बाप:- हां बेटा, राजपुत अपनी जुबान के पक्के होते हैं और कर्म के सच्चे होते हैं।
बेटा :- पापा जी, जुबान का पक्का किसे कहते हैं?
बाप :- बेटा जुबान का पक्का होना मतलब जब हम कुछ बोले तो उसे पूरा भी करें, जब हम कुछ करने का निर्णय लें तो उसे जरूर और समय सीमा के अंदर करें।
बेटा:- और कर्म का सच्चा होना मतलब?
बाप:- बेटा हम जो कहें वैसा ही वयवहार भी करें।हमारे कर्म हमारी पहचान होते हैं। अतः हम अपने कर्म में सच्चाई लाएं।
बेटा:- पापा जी और क्या पहचान है एक सच्चे राजपुत की?
बाप :- बेटा राजपुत को सबसे पहले संस्कारी होना चाहये, संस्कार जब आते हैं तो समाज में सद्भावना का विकास होता है।
बेटा :- और पापा जी
बाप :- राजपुत को बहादुर होना चाहिए।
बेटा :- पापा जी बहादुर किसे कहते हैं?
बाप :- बेटा बहादुर वो हैं जो धर्म की स्थापना के लिए लड़ता है। सत्य की रक्षा के लिए लड़ता है। देश की स्वतंत्रता के लिए और उसकी सीमाओं की रक्षा के लिए लड़ता है।
बेटा :- और पापा जी
बाप :- बहादुर निर्बल, असहाय, गौ, स्त्री, अपनी कौम, अपने परिवार तथा अंत में अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए लड़ता है।
बेटा:- पापा जी संस्कार, सद्भावना तथा बहादुरी का विकास किसी के जीवन में कैसे हो सकता है?
बाप :- बेटा जी संस्कार माता पिता, परिवार तथा गुरु से प्राप्त होते हैं। समाजजिक ज्ञान से सद्भावना का विकास होता है। बहादुरी ज्ञान से आती है तथा अनुशाशन रूपी गुण से इसे निखारा जाता है।
बेटा:- पापा जी क्या मतलब। ये अनुशाशन क्या है?
बाप :- अपनी इच्छाओं को, अपने गुस्से को, अपने नियंत्रण में रखना अनुशाशन है। अपने दैनिक जीवन में समय को सबसे अधिक महत्व देना अनुशाशन है। अर्थात एक वीर के जीवन में अनुशाशन का सबसे अधिक महत्व होता है।
बेटा:- पापा जी राजपुत को कैसे पहचान सकते है?
बाप :- बेटा जो सिर्फ जन्म से राजपूत हैं उनकी पहचान उनके नाम से होती है, जैसे राणा, डडवाल, शेखावत, सिसोदिया, कटोच बगैरा बगैरा। पर जो मन से राजपुत है उनके काम ही उनकी पहचान हैं। वो हमेशा सच और धर्म का साथ देते हैं। चाहे हालात कैसे भी हों वो सत्य का और धर्म का साथ नहीं छोड़ते।
बेटा:- और पापा जी
बाप :- बेटा मुँह पर मूँछ, आँखों में आत्मविश्वाश, निर्भय, शांत, उच्च विचार, स्वच्छ व्यवहार राजपुत की पहचान हैं।
बेटा :- पापा जी क्या आप अपने जीवन में इन सब बातों का पालन करते हो?
बाप :- बेटा मुझे मेरे बड़ों से यदि समय रहते ये ज्ञान मिल जाता तो आज राजपुत कौम की ये दुर्गति नहीं होती। पर आज जब मुझे ये सब समझ आया है तो मैं लगा हुआ हूँ सुधार में।
बेटा:- सुधार संभव है क्या?
बाप :- क्यों नहीं बेटा, आज आप अपनी बाल अवस्था में हो और मैं आपको ये बाते बता रहा हूँ। आप इन्हें अपने जीवन में अपनाओगे तो भगवान् श्री राम का आशीर्वाद आप पर बना रहेगा, परमवीर महाराणा प्रताप की आत्मा आपको देख कर गोवान्तित होती रहेगी। माँ भारती फिर से मुस्कुरा उठेगी।
सुधार करेंगे तो क्यों नहीं होगा। पर शुरुआत सभी को अपने अपने घर से करनी होगी। अड़चने आएंगी, मजाक भी उड़ाया जाएगा पर यदि हम लगे रहे तो एक दिन फिर से इस धरा पे राजपुत सबके दिलों पर राज करेंगे।
और जो किसी के दिल पर राज करे, वही तो असली राजपुत है।
बेटा:- पापा जी आप मेरा मार्गदर्शन करना, मैं और माहि (छोटी बहन) हम राजपूताने को बुलन्द बनाएंगे।
बाप :- बेटा राजपुत एक महान कौम है जो जिसे बचाने के लिए हर बच्चे, युवा, बजुर्ग, माता पिता, को जिमेवारी लेनी होगी। और RERC अभियान इस दिशा में निस्वार्थ प्रयास है।
🙏 आगे बढ़ाते रहिये। क्योंकि चेतना ही एकता का आधार है।    जय माँ भवानी।

Pic Design : Suraj Singh Parmar
Text: Watsapp Group Share

No comments:

Post a Comment